सचिन मिश्रा 08

Sunday, August 17, 2008

किसे नहीं है नशा

वैसे तो हर किसी तो किसी न किसी चीज का नशा होता ही है। कोई शौक में नशा करता है, तो कोई देखादेखी में और कोई गम भुलाने के लिए। किसी को सत्ता का नशा है तो किसी को दबंगयी का। आए दिन न जाने कितने घर नशे के खातिर बर्बाद हो रहे हैं।

उसे भी औरों की तरह पड़ गई थी तंबाकू की लत। उसकी कमजोरी यह थी कि वह बिना नशे के नहीं रह सकता था। एक दिन उसकी तंबाकू की पुडि़या कुएं में गिर गई। पुडि़या निकालने के लिए वह कुएं में जा घुसा। लेकिन कुएं में जहरीली गैस चढ़ने से उसकी मौत हो गई। इंसान भूखा तो रह सकता है, लेकिन बिना नशे के लिए नहीं। कभी वह नशे के लिए पत्‍‌नी व बच्चों को मौत के आगोश में सुला देता है तो कभी चोरी आदि भी करने से गुरेज नहीं करता है। हालांकि यह तो सभी जानते हैं कि नशे से उनके शरीर व मस्तिष्क दोनों पर भी असर पड़ता है। फिर भी वह इस जहर का सेवन करते रहते हैं।

खैर उनको तो यह जहर अमृत जैसा लगता है, पर जब वह बीमारियों से जकड़ जाते हैं तो परिजनों का जीना दुष्वार हो जाता है। और कहीं वह अगर उनको छोड़ चल बसे तो उनको शायद सकून मिल जाए, पर परिजनों के सामने मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ता है। क्या जो नशा नहीं करते हैं वह जिंदा नहीं रहते हैं? वे जिंदा रहते हैं शान से, क्योंकि उनमें दृढ़ इच्छाशक्ति होती है ना कि नशे रूपी बैसाखियों का सहारा।

आज जरूरत है दृढ़ इच्छाशक्ति की, जब तक दृढ़ इच्छा शक्ति का अभाव होगा तब तक नशा छोड़ना मुमकिन नहीं है। तो फिर देर किस चीज की, लीजिए संकल्प कि आज से नशा नहीं करेंगे।

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